जैसा कि हमेशा होता है आज भी सुनीता की सुबह की शुरुआत फोन के साथ हुई.... पता नहीं क्यों ? मानो कि जैसे इस फोन ने उसे जकड़ रखा हो....,हां पता है उसे कि हद से ज्यादा कोई चीज हानिकारक होती है पर उसके मन का क्या..मानता ही नहीं है ,ना चाहते हुए भी फोन सुबह उसके हाथ में आ ही जाता है वैसे भी अब तो कुछ दिनों तक उसकी कक्षाएं(classes) भी ऑनलाइन होने वाली थी । लो एक और बहाना मिल गया उसे सुबह फोन हाथ में लेने का.... अचानक उसे याद आया कि आज तो फोन का रिचार्ज भी खत्म हो गया है पर क्लासिज़ लेनी थी तो रिचार्ज भी हो गया। लेकिन आज उसका चेहरा जरा उतरा-उतरा सा नजर आ रहा था क्योंकि आज जो उसकी लगातार (8:00 से लेकर 1:00 बजे तक) चार क्लासिज़ जो थी। जिसमें पहली तीन तो जैसे की आप सभी को पता लग ही गया होगा... सोते हुए या सोशल मीडिया जैसे- इंस्टा चलाते हुए खत्म हो गई पर अचानक उसे याद आया कि अभी तो एक और क्लास बची हुई है- थ्योरी की।वह बोली हाय... निहाईती घटिया क्लास ।लेकिन वह भला कुछ थोड़ी कर सकती थी....लेनी पड़ी। उसने कहा - "आज तो वैसे भी असाइनमेंट की प्रेजेंटेशन चल रही है और मैम सभी बच्चों से एक -एक करके एक प्रश्न पूछ रही है,मजबूरी में ही सही... पर सभी बच्चे उसका जवाब दे रहे हैं यह उनके चेहरे से तो दिख ही रहा है " लेकिन वह कहती है कि माक्स देने के मामले में मैम का मिजाज जरा समझ नहीं आ रहा था। मानो जैसे कि अपना मूड तो खराब है ही दूसरों का भी खराब करके ही जाएंगी,अब तो वह(सुनीता)तर्क-वितर्क करने लगी और कहने लगी कि एक प्रश्न पूछ कर कोई इंसान यह कैसे अंदाजा लगा सकता है कि उसके पीछे किसी बच्चे ने कितनी मेहनत की हो। यही उसके साथ भी हुआ फिर क्या वह तो अब गुस्से से लाल हो गई...लेकिन करती भी भला क्या....लेना-देना कहा था उससे किसी को, परिवार के सभी सदस्य तो अपनी रोजमर्रा के कार्यों में मशरूफ थे फिर क्या ?वह बिचारी थकी-हारी बिस्तर पर बैठ गई और सोचने लगी की अपने जीवन को कैसे सुधार सकती है कि तभी... अचानक उसके फोन की घंटी बजने लगी देखा तो उसकी प्रिय सहेली प्रेरणा का फोन था। प्रेरणा ने उससे क्लासिज़ की बातें करते हुए बहोत मोटिवेट किया। अपनी सहेली की बाते सुनकर मानो की उसमें एक आग सी लग गई हो ,उसके बाद तो वह जोश-जोश में पढ़ती ही जा रही थी मानो जैसे कि आज तो पूरी किताब ही खत्म कर देगी "लेकिन भला अच्छा समय ज्यादा देर तक कहां टिकता है। "कि तभी अचानक उसके फोन में एक नोटिफिकेशन आया -उसके पसंदीदा ड्रामा के अगले एपिसोड का जिसका वह कई दिनों से इंतजार कर रही थी फिर क्या अब तो कोई दीवार भी उसे रोक नहीं सकती थी। वही बिस्तर पर वह और हाथ में उसका फोन।
By Sushma
Gajab 👍
जवाब देंहटाएंThanks
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जवाब देंहटाएंI m speechless 😬 ....for a second I thought that this story based upon me 😁........
जवाब देंहटाएंHahahha... So relatable story of our daily lives... Nice blog.... Wait for some more like this..
जवाब देंहटाएंउत्तम कहानी, हम सभी के जीवन का यथार्थ सत्य तुमने प्रस्तुत किया है|
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंशुक्रिया
जवाब देंहटाएं👍👍
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